वे सुनेयारेया
भजन
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मुखड़ा:
वे सुनेयारेया, कर्मा वालेया,
मेरी माई दी नत्थ बनाई वे, नत्थ बनाई वे,
मोती लाई वे, मोती लाई वे, सोहणी बनाई वे ॥
अंतरा १:
ऐसी नत्थ बनाई जिदां, पुन्या दा चन्न होवे,
नत्थ दे विच्च इक नग वी जड़ायीं, वक्खरा ही रंग होवे,
मीना कारी पूरी कर दईं, मेहनत आपनी लै लइ,
वे सुनेयारेया, कर्मा वालेया,.....
अंतरा २:
हथ वी जोड़ा, पैर वी पकड़ा, सौ सौ तरले पावां,
तैनूं तेरी मेहनत मिल जाउ, मैं पैरी हथ लावां,
इक बनादे छतर सोने दा, मैं माँ दे दर जाना,
वे सुनेयारेया, कर्मा वालेया,.....
अंतरा ३:
ऐसी नत्थ बनाई जिस विच्च, हीरे मोती लावीं,
सूरज कोलों लैके किरणां, उसदी शान वधावीं,
हो...मैं वी जाना माँ दे द्वारे, नाल मेरे तूं जावीं,
वे सुनेयारेया, कर्मा वालेया,
मेरी माई दी नत्थ बनाई वे, नत्थ बनाई वे,
मोती लाई वे, मोती लाई वे, सोहणी बनाई वे.....
भावार्थ: यह भजन एक भक्त के मन की भावना को दर्शाता है जो अपनी माँ (देवी माता) के लिए सबसे सुंदर आभूषण बनवाना चाहता है। भक्त सुनार से कहता है कि वह माँ के लिए ऐसी नत्थ (नाक का आभूषण) बनाए जिसमें हीरे-मोती हों और जो सूर्य की किरणों की तरह चमके।