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श्री नरसिंह आरती

Shri Narasimha Aarti

श्री नरसिंह आरती

॥ पारम्परिक नरसिंह आरती ॥

(१)

नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने।
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-शिला-टङ्क-नखालये॥

(२)

इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो यतो यतो यामि ततो नृसिंहः।
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो नृसिंहमादि शरणं प्रपद्ये॥

(३)

तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत-शृंगम्
दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृंगम्
केशव धृत-नरहरिरूप जय जगदीश हरे॥

जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे, जय जगदीश हरे॥



श्लोकों का अर्थ

पहला श्लोक:

"नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने"

  • प्रह्लाद को आनंद देने वाले नरसिंह को नमस्कार
  • हिरण्यकशिपु के वक्षस्थल को पत्थर की भांति कठोर नाखूनों से विदीर्ण करने वाले को

दूसरा श्लोक:

"इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो यतो यतो यामि ततो नृसिंहः"

  • इधर भी नरसिंह हैं, उधर भी नरसिंह हैं
  • जहाँ जहाँ जाता हूँ, वहाँ वहाँ नरसिंह हैं
  • बाहर भी नरसिंह हैं, हृदय में भी नरसिंह हैं
  • मैं उन नरसिंह की शरण लेता हूँ

तीसरा श्लोक (गीत गोविन्द से):

"तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत-शृंगम्"

  • आपके कमल रूपी हाथों में अद्भुत सींग के समान नाखून
  • जिन्होंने हिरण्यकशिपु रूपी भ्रमर को दलित किया
  • हे केशव! नरहरि रूप धारण करने वाले, जय जगदीश हरे!

आरती का महत्व

आध्यात्मिक संदेश:

१. सर्वव्यापकता:

  • भगवान सर्वत्र विराजमान हैं
  • अन्दर-बाहर सब जगह उनकी उपस्थिति

२. भक्त-रक्षा:

  • प्रह्लाद की रक्षा का प्रतीक
  • भक्तों के कष्टों का निवारण

३. अहंकार-नाश:

  • हिरण्यकशिपु के अहंकार का विनाश
  • अधर्म पर धर्म की विजय

पूजा विधान:

१. समय: सन्ध्याकाल में विशेष रूप से गायी जाती है
२. स्थान: घर और मंदिरों में नियमित आरती
३. वाद्य: मृदंग, करताल, घंटा के साथ
४. भाव: भक्ति और समर्पण का भाव

फल:

  • विघ्न-बाधाओं से मुक्ति
  • भय और चिंता का नाश
  • आत्मविश्वास की वृद्धि
  • भगवद्-कृपा की प्राप्ति